जैन ज्ञान

चक्रवर्ती की नवनिधियाँ

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भगवान ऋषभदेव से लेकर भगवान महावीर तक चौबीस तीर्थंकर के समय में अनेक विभूतियाँ हुई...

मेरू पर्वत : वन और गतिशील ज्योतिष – चक्र

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जम्बूद्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में मेरू पर्वत स्थित है| यह उत्तर कुरू के दक्षिण...

कर्मबन्ध की पध्दति: प्रकृतिबन्ध, स्थितिबन्ध अनुभावबन्ध, प्रदेशबन्ध

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आत्मा और कर्म का सम्बन्ध क्षीर – नीर की भाँति अनादि अनन्त है| आत्मा और...

कर्मबन्ध: स्पृष्ट – बध्द, निधत्त, निकाचित

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कर्मबन्ध के चार भेद कहे गए हैं| ये चारों प्रकार के बन्ध उत्तरोत्तर गाढ़ –...

लोक – अलोक

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सामान्य बोलचाल की भाषा में संसारी जीव जहाँ रहते हैं, वह स्थान या क्षेत्र लोक...

अठारह पापस्थान

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नवतत्त्वों में एक तत्त्व है पाप| जीव की अशुभ क्रियाएँ पाप कहलाती हैं| जीव सामान्यत...

कालचक्र (बारह आरा)

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कालचक्र नियमित और निरन्तर है| संसार में रहने वाले जीव कालचक्र से सदा प्रभावित रहते...

नव वसुदेवजी

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नव वसुदेव के नामnav vasudev ke naam1त्रिपृष्टजी  Triprushtjii2दिपृष्टजी  Driprushtjii3स्वयंभूजी  Swayambhuji4पुरुषोत्तमजी  Purushottamajii5पुरुषसिंहजी  Purushsimhaji6पुरुषपुण्डरीकजी  Purushpundrikaji7दत्तजी Daatji8लक्ष्मणजी Lakshmanji9कृष्‍णजीKrishnaji

छह लेश्या

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लेश्या मन के अच्छे-बुरे विचार या भाव हैं | लेश्या का उद्गम कषाय और योग...

चौदह नियम

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जीवन को अनुशासित बनाने के लिए व त्यागमयी वृत्तियों में दृढ़ता लाने के लिए प्रत्येक...

जम्बूद्वीप

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मध्यलोक के असंख्य द्वीप समुद्रों के बीचोंबीच जम्बूद्वीप स्थित है| यह सबसे छोटा द्वीप है|...

भगवान महावीर जीवन वृत्त

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 BHAGAWAN MAHAVIRA  FIRST BIRTH NAYSAAR (HUMAN):      King Shatrumardan ruled over Jayanthi town of Jambudeep Mahavedeh...

अष्टकर्म : ज्ञानावरण कर्म, दर्शनावरण कर्म, वेदनीय कर्म, मोहनीय कर्म, आयुष्य कर्म, नाम कर्म, गोत्र कर्म, अन्तराय कर्म

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सामान्य बोलचाल की भाषा में कोई भी क्रिया कर्म कहलाती है| परन्तु जैन दर्शन में...

बारह भावना

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जैनधर्म, भावना पर आधारित है| जीवन की प्रत्येक क्रिया में भावना मूल है| यदि किसी...

देवों के एक सौ अट्ठानवे भेद

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अति पुण्य प्रभाव से देवगति में जन्म लेने वाले जीव देव कहलाते हैं| देवों का...

चार कषाय : क्रोध और मान माया और लोभ

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कषाय जीवात्म को कलुषित करते हैं, जिससे जीवात्मा चारों गतियों में बार – बार जन्म...

दस श्रावकों के नाम

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10 श्रावकों के नाम10 Shrawako Ke Naam1श्री आनंदजीSri Anandji2श्री कामदेवजीSri Kamdevji3श्री चुलणीपिताजीSri Chulnipitaji4श्री सुरादेवजीSri Suradevji5श्री...

चौदह राजलोक

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द्रव्य लोक की चर्चा हमने पिछले अध्याय में की है| अब क्षेत्र के आधार पर...

चौदह गुणस्थान

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  जीवात्मा को आध्यात्मिका विकास की क्रमिक अवस्था गुणस्थान कहलाती है|   गुणस्थान को जीव स्थान...

9 प्रकार के ब्रम्ह परिग्रह

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क्षेत्र वास्तु हिरण्य सुवर्ण धन धान्य व्दिपद चतुष्पद कुप्य

अढ़ाई द्वीप (मनुष्य लोक)

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मध्यलोक में असंख्य द्वीप हैं| इन द्वीपों में अढ़ाई द्वीप है, जहाँ मनुयों का निवास...

पाँच इन्द्रियों के तेईस विषय

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इन्द्रिय वह है जिसके माध्यम से जीव जगत के रूपी पदार्थों का आंशिक ज्ञान करे,...

छःह आवश्यक

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श्रमण और श्रावक दोनों के लिए आवश्यकों का नित्य और नियमित पालन जरूरी है, क्योंकि...