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नव वसुदेवजी
मेरू पर्वत : वन और गतिशील ज्योतिष – चक्र
लोक – अलोक
कर्मबन्ध: स्पृष्ट – बध्द, निधत्त, निकाचित
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चक्रवर्ती की नवनिधियाँ
Jain Samay
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December 27, 2022
मेरू पर्वत : वन और गतिशील ज्योतिष – चक्र
कर्मबन्ध की पध्दति: प्रकृतिबन्ध, स्थितिबन्ध अनुभावबन्ध, प्रदेशबन्ध
कर्मबन्ध: स्पृष्ट – बध्द, निधत्त, निकाचित
लोक – अलोक
अठारह पापस्थान
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December 27, 2022
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कालचक्र (बारह आरा)
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अष्टकर्म : ज्ञानावरण कर्म, दर्शनावरण कर्म, वेदनीय कर्म, मोहनीय कर्म, आयुष्य...
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नव वसुदेवजी
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May 25, 2024
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