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मेरू पर्वत : वन और गतिशील ज्योतिष – चक्र
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दस श्रावकों के नाम
Jain Samay
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May 25, 2024
नव वसुदेवजी
मेरू पर्वत : वन और गतिशील ज्योतिष – चक्र
लोक – अलोक
कर्मबन्ध: स्पृष्ट – बध्द, निधत्त, निकाचित
कर्मबन्ध की पध्दति: प्रकृतिबन्ध, स्थितिबन्ध अनुभावबन्ध, प्रदेशबन्ध
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