जैन समाज के चमकते सितारे, उदारमना नेमीचंदजी-प्रभादेवी सालेचा
राजस्थान की वीर भूमि मसवरा के मजल गाँव के मूल निवासी सरलमना धर्मनिष्ठ, सेवाभावी मिलनसार स्वर्गीय श्रीमान मेघराजजी श्रीमती शांतादेवी सालेचा के सुपुत्र-सुपुत्रवधु श्री नेमीबंदजी-प्रभादेवी सालेचा जिनशासन के समर्पित, मिलनसार एवं उदारमना धर्मनिष्ठ दंपत्ति हैं। श्री नेमीचंदजी सालेचा का जन्म 1961 में नंदूरबार (महाराष्ट्र) में हुआ। आपके पिताश्री मेघराजजी ने करीब 90 वर्ष पूर्व नंदूरबार में कपड़ा एवं आड़त का व्यापार प्रारंभ किया। आप श्री का जीवन व्यापार से भी अधिक समाज सेवा में समर्पित रहा। समाजजनों में आप वकील साहब के नाम से विख्यात थे। नेमीचंदजी सालेचा पढ़ाई कर अपने पिताश्री के व्यवसाय कार्य में पूरे उत्साह के साथ कार्यरत हो गए। आपके दिल में कुछ विशेष करने का जूनून था इसलिए उन्होंने अपने विशाल सपनों को पूरा करने के लिए बेंगलूरु महानगर को चुना और एक बड़ा लक्ष्य लेकर 1983 में आप बेंगलूरु आ गए। यहाँ आपने पेपर मार्केट अपने उज्ज्वल भविष्य को देखा। 1985 में आपने बेंगलुरु महानगर के हृदय स्थल सुल्तानपेट मैन रोड़ में ‘राजकुमार कार्ड्स’ के नाम से अपने प्रतिष्ठान का शुभारंभ किया। आपकी मेहनत एवं लगन से ‘राजकुमार काईस’ शीघ्र ही पूरे कर्नाटक में कार्ड जगत का ब्रांड नाम बन गया। आकर्षक एवं आधुनिकतम आमंत्रण पत्रिकाओं के में लिए आज भी पूरे कर्नाटक में सभी की पहली पसंद ‘राजकुमार कार्ड्स’ है। आपने अपने व्यवसाय के उन्नति एवं विस्तार की योजना को क्रियान्वन करते हुए अपने सभी भाईयों को बेंगलुरु बुला लिया और अपने व्यवसाय से जोड़ लिया। आपका आपके बड़े आता हीराचंदजी एवं लघु भ्राता महेन्द्रजी एवं प्रवीणजी के साथ आत्मीय भ्रातृ प्रेम अपने आप में एक मिसाल है। आपका विवाह 1981 में राजस्थान में अजीत के मूल निवासी एवं डुबली प्रवासी धर्मनिष्ठ स्व. पारसमलजी स्व. शांतिदेवी भुरट की गुणवान सुपुत्री प्रभादेवी (राजुल) के साथ संपन्न हुआ। ‘नेम-राजुल’ की हँसमुख, मिलनसार एवं आकर्षक धर्मनिष्ठ जोड़ी को देख कर सभी प्रमुदित हो जाते हैं।
समाज में सेवा कार्यों में जितने अग्रणी है, चर्म आराधना में भी उतने ही अग्रणी हैं। अक्कीपेट में श्री वर्द्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के आप ट्रस्टी हैं। आपने इस संघ के गठन में अग्रणी भूमिका निभाई और संघ को मजबूत करने के लिए आप सदैव तत्पर रहे हैं। आपकी धर्मपत्नी भी अक्कीपेट महिला मंडल की पूर्व अध्यक्ष रही है। प्रभादेवी ने मासक्षमण, 15 एवं 11 उपवास, तथा अनेक अठाईयाँ – तेले की तपाराधना से अपनी आत्मा को धर्म से भावित किया। साथ ही आप अधिक से अधिक तत्व ज्ञान को सीखने में भी अग्रणी हैं। आप अभी श्री वर्द्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, ईटा बेंगलूरु की महिला मंडल की अध्यक्षा के रूप अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। में श्री नेमीचंदजी सालेचा अत्यंत ही उत्साही युवा एवं दूरदर्शी सोच के बनी है। पिछले करीब 3 दशकों से जब से मैं इनके संपर्क में आया हूँ, मैने नेमीचंदजी सालेचा के दिल में जिनशासन के प्रति अचाह अछा, गुरु भगवंतों के प्रति विशेष अनुराग एवं समाज को नई ऊँचाईयों पर ले जाने की प्रकृष्ट भावना देखी है। आपका चिंतन है कि जैन समाज यदि एक जुट हो तो सारे विश्व का चर्म बन सकता है। समाज में व्यक्ति को अपने नाम की चिंता छोड़कर निःस्वार्थ भाव से जिनशासन के उत्थान हेतु कार्य करना चाहिए।
आपके दिल में अपने स्वधर्मी भाईयों के उत्त्वान की भावना उत्कृष्ट रूप से समाई हुई है। आपका कहना है कि हम समर्थ होकर भी यदि अपने भाईयों का दुःख दर्द दूर नहीं करेंगे तो कौन करेगा? स्वधर्मी बंधुओं को ऊँचा उठाकर जिनशासन को मजबूत बनाया जा सकता है। आप स्थानकवासी सिद्धांतों पर दृढ आस्था रखते हुए सभी संप्रदायों के साथ पूर्ण सद्भावना रखते हैं। आप अपनी मातृभूमि एवं संस्कृति से अथाह प्रेम रखते हैं। आपने बेंगलूरु में श्री मरूवरा संघ, बेंगलूरु के अध्यक्ष के रूप में संघ को अनुकरणीय सेवाएँ प्रदान की। अपने मूल निवास मजल में स्थानक भवन के निर्माण में अग्रणी भूमिका निर्वाह की और श्रमण संघीय पूज्य प्रर्वतक श्री रमेशमुनिजी म.सा. के सानिध्य में स्थानक भवन के उद्घाटन का लाभ आपके परिवार ने लिया।
आप जैन एवं जैनेतर सभी प्रकार की पूरे भारत में करीब 20 से भी अधिक संस्थाओं में ट्रस्टी/आजीवन सदस्य आदि बड़े सहयोगी के रूप में जुड़े हुए हैं। ट्रस्टी : श्री सुधर्म पौषधशाला, बेंगलूरु। ट्रस्टी : श्री वर्द्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, अक्कीपेट, बेंगलूरु। ट्रस्टी : श्री वर्द्धमान स्थानकवासी जैन श्रवक संघ, ईटा गार्डन, मागड़ी रोड़, बेंगलोर। ट्रस्टी, संरक्षकः श्री ज्येष्ठ धाम समदड़ी, राज, इत्यादि अग्रणी भूमिका के साथ ही आप जीवदया गौशाला, शैक्षणिक संस्थान, समाजसेवी संस्थान, चिकित्सा संस्थान आदि को तन, मन, धन से सहयोग देने में अग्रणी हैं एवं गुप्त दान को विशेष महत्व देते हैं। अपनी मिलसारिता एवं व्यवहार कुशलता से आपने सभी राजनीतिक दलों के राजनेताओं एवं अधिकारियों के साथ भी मधुर सम्बंध स्थापित किए हैं। आपके कुशल व्यवसायिक नैतृत्व के परिणाम स्वरूप आपके व्यापार प्रतिष्ठान में साथ निभाने वाले पचासों व्यक्ति आज अपने अपने स्थानों पर व्यवसाय की बुलंदियों पर हैं। आपके दोनों गुणवान सुपुत्र सुपुत्रवधु कमलेश-सोनाली एवं तुषार-खुशबू आपके द्वारा प्रदत्त सुसंस्कारों को अपने जीवन में आपकी तरह ही अपनाए हुए हैं। सुल्तानपेट सर्कल में आपके भव्य ‘राजकुमार टॉवर’ में दोनों सुपुत्र आपके व्यवसाय ‘राजकुमार, दी कार्ड शॉप’ को प्रगति की ऊँचाईयों पर बढ़ाते हुए कुल का नाम रोशन कर रहे हैं। आपकी सुपुत्री कोमल का विवाह राजस्थान में मोकलसर के मूल निवासी एवं वर्तमान में भिवंडी, महाराष्ट्र के गणमान्य श्रावक श्री मोहनलालजी बाफना दर्जानी के सुपुत्र कीर्तिकुमारजी के साथ संपन्न हुआ है।
जैन समय ‘अनमोल रत्न’ नेमीचंदजी सालेचा
हमेशा प्रसन्न मुद्रा में रहने वाले युवा जगत की शान, उदार हृदय के धनी जैन समय के ‘अनमोल रत्न’ नेमीचंदजी सालेचा की रग-रग में जैन धर्म की प्रभावना की प्रबलतम भावना है। इसी भावना से आप जैन समय के विश्व व्यापी धर्मप्रचार अभियान को गति देने हेतु जैन समय के स्तंभ सहयोगी बने हैं। आपका मानना है कि के जैन धर्म का पूरे विश्व में विशाल स्तर पर प्रचार प्रसार होना चाहिये। ‘जैन समय’ के विश्वव्यापी स्तर पर जैनत्व के प्रचार प्रसार एवं समग्र जैन समाज को एक दूसरे के साथ जोड़ने के लक्ष्य से आप बहुत प्रभावित हुये। और हमारे स्तंभ सहयोगी बने। जैन समय के स्तम्भ सहयोगी बनकर आपने हमारे उत्साह को अनेक गुणा बढ़ाया है। आपके उदार सहयोग से जैन समय द्वारा सकल जैन समाज को नई Connectivity, Worldwide Unity एवं Information महाअभियान को बड़ी शक्ति मिलेगी। हम आपके पूरे परिवार के लिये आरोग्यमय, धर्ममय, सर्व सुखमय जीवन की यशस्वी मंगलकामनायें करते हुए शत शत आभार प्रदर्शित करते हैं।