मनोहरजी सेठिया

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Manohar Sethia

अनुपम व्यक्तित्व के धनी युवा रत्न संघवी मनोहरलालजी-संतोषदेवी सेठिया

राजस्थान की वीर भूमि के भावी बिलाड़ा के मूल निवासी सरलमना धर्मनिष्ठ, सेवाभावी मिलनसार श्रेष्ठिवर्य संघवी रतनलालजी स्व. श्रीमती पिस्ताकंवर नागसेठिया के सुपुत्र-सुपुत्रवधु श्री मनोहरलालजी संतोषदेवी सेठिया एक हँसमुख, मिलनसार एवं उदारमना धर्मनिष्ठ दंपत्ति हैं। श्री मनोहरलालजी सेठिया का जन्म मधुरता की नगरी ‘मण्ड्या’, कर्नाटक में हुआ। आपके पिताश्री रतनलालजी नाग सेठिया भावी बिलाड़ा के श्रेष्ठीवर्य पुखराजजी केलीबाई नाग सेठिया के सुपुत्र हैं। रतनलालजी ने 1961 में कर्नाटक राज्य के मण्ड्या नगर में मैसर्स रतनलाल एण्ड सन्सू के नाम से गुड़ का एवं गिरवी व ज्वेलरी का व्यापार प्रारंभ किया। आप श्री का जीवन व्यापार से भी अधिक समाज सेवा में समर्पित रहा। आपश्री ने 30 वर्षों तक जैन मंदिर, मण्ड्रया के अध्यक्ष पद को सुशोभित किया। आपकी अध्यक्षता में मण्ड्या नगर में कलात्मक भव्य शिखरबद्ध मंदिर का निर्माण हुआ जिसका अष्टान्हिका महोत्सव सह अंजनशलाका प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव 1990 में राष्ट्र संत आचार्यदेव श्री पद्मसागर सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में बड़ी धूमधाम से संपन्न हुआ। आपके द्वारा स्थापित श्री सेठिया जैन ट्रस्ट मण्ड्या द्वारा सन् 2007 में मण्ड्या से सम्मेदशिखरजी, पावापुरीजी, हस्तीनापुरजी, मालपुरा, भावी बिलाड़ा, नाकोड़ाजी, गिरनारजी, सिद्धाचलजी, शंखेश्वरजी आदि सुप्रसिद्ध तीर्थों का स्पेशल ट्रेन द्वारा 21 दिनों का करीब 1000 यात्रियों का जैन तीर्थ यात्रा संघ का विशाल आयोजन किया गया। जिसने एक नया इतिहास रचा है। आपका परिवार श्री धरणेन्द्र पद्मावती तीर्थ याम, रामनगर का कायमी अमर ध्वजा का लाभार्थी है। आपकी माताश्री पिस्ताकंवर धर्मनिष्ठ एवं तपस्विनी रत्ना श्रविका थी। उन्होंने 5 वर्षीतप, उपधान तप, मासक्षमण, 500 आयम्बिल तथा अनेक आयम्बिल ओलियों की आराधना कर जीवन को धन्य बनाया। श्री मनोहरजी सेठिया ने अपनी पढ़ाई के पश्चात बेंगलुरु में करीब 25 वर्ष पूर्व ‘मनोहर केमिकल्स’ फर्म प्रारंभ करके Solvent Chemicals का Wholesale व्यापार प्रारंभ किया जो आपकी कार्य कुशलता एवं मिलनसारिता से बहुत शीघ्र बेगलूरु के प्रमुख केमिकल व्यापारियों में गिना जाने लगा। प्रगति पथ पर बढ़ते हुए 5 वर्ष पश्चात रक्षा कॉर्पोरेशन के नाम से और एक फर्म प्रारंभ की जो आज बुलंदियों पर है। यन्नपट्टणा निवासी स्व. विजयराजजी श्रीमती इंदिरादेवी भुरट की गुणवान सुपुत्री संतोषदेवी के साथ आपका विवाह संपन्न हुआ। आपके पुत्री-जंवाई रक्षा श्रीकांतजी

एवं पूजा-अक्षयजी कोठारी हैं। आपका संस्कारवान सुपुत्र राहुल सेठिया अभी वी. बी.एम. की पढ़ाई कर रहा है जो पढ़ाई के साथ ही अनेक प्रतिभाओं से संपन्न है। आपके भाई-भाभी शान्तिलालजी- विमलादेवी, प्रकाशचंदजी-इंद्रादेवी एवं अनुज अनुजवधु किरणकुमारजी आशादेवी है। अपने सभी भाईयों के साथ राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न जैसा प्रेम भाव एक अनुपम प्रेरणाप्रद मिसाल है। आप विमलनाथ जैन मंदिर, बसवनगुड़ी के आजीवन सदस्य हैं एवं अनेक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।

संघवी श्री मनोहरलालजी व्यापार में जितने अग्रणी हैं, समाजसेवा एवं धर्म आराधना में भी उत्तने ही अग्रणी हैं। आप पिछले 3 वर्षों से अपने मित्रगण के साथ मिलकर निरंतर चातुर्मास करा रहे है। आप अयोध्यापुरम, पालीताणा, शंखेश्वर एवं इस वर्ष गिरनारजी में चातुर्मास के लाभार्थी है। आप गुप्तदान में अग्रणी है। पिछले अनेक वर्षों से आप मण्ड्या में आबम्बिल ओली के लाभार्थी हैं एवं इस वर्ष शंखेश्वर तथा अयोध्यापुरम में आयम्बिल ओली के लाभार्थी है।

श्री मनोहरलालजी सेठिया अत्यंत ही उत्साही युवा एवं दूरदर्शी सोच के धनी हैं। पिछले करीब 20 वर्षों से जब से मैं इनके संपर्क में आया हूँ, मैनें मनोहरलालजी सेठिया के दिल में जिनशासन के प्रति अथाह श्रद्धा, गुरु भगवंतों के प्रति विशेष अनुराग एवं समाज को नई ऊँचाईयों पर ले जाने की उच्च भावना देखी है। आपका चिंतन है कि जैन समाज यदि एक जुट हो तो सारे विश्व का धर्म बन सकता है। हम सबको आपस में एक दूसरे का साथ देते हुए प्रेम भाव बढ़ाना है। समाज में व्यक्ति को अपने नाम की चिंता छोड़कर निःस्वार्थ भाव से जिनशासन के उत्थान हेतु कार्य करना चाहिए। आपके दिल में अपने स्वधर्मी भाईयों के उत्थान की भावना उत्कृष्ट रूप से समाई हुई है। आपका कहना है कि हम समर्थ होकर भी यदि अपने भाईयों का दुःख दर्द दूर नहीं करेंगे तो कौन करेगा? स्वधर्मी बंधुओं को ऊँचा उठाकर जिनशासन को मजबूत बनाया जा सकता है। आप जैन सिद्धांतों पर दृढ आस्था रखते हुए सभी संप्रदायों के साथ पूर्ण सद्भावना रखते हैं।

जैन समय ‘अनमोल रत्न’ मनोहरलालजी सेठिया

चेहरे पर सदाबहार मुस्कान के साथ हमेशा प्रसन्न मुद्रा में रहने वाले युवा रत्न, उदार मना जैन समय के ‘अनमोल रत्न’ सेठिया की रग-रग में जैन धर्म की सारे विश्व भावना है। इसी के विश्व व्यापी में प्रभावना की प्रचलतम भावना से आप जैन समय धर्मप्रचार अभियान को गति देने हेतु जैन समय आपका मानना है में विशाल स्तर के स्तंभ सहयोगी बने हैं। कि जैन धर्म का पूरे विश्व पर प्रचार प्रसार होना चाहिये। ‘जैन समय’ के विश्वव्यापी स्तर पर जैनत्त्व के प्रचार प्रसार व समग्र जैन समाज को एक दूसरे के साथ जोड़ने के लक्ष्य से आप बहुत प्रभावित हुये। और हमारे स्तंभ सहयोगी बने। जैन समय के स्तम्भ सहयोगी बनकर आपने हमारे उत्साह को अनेक गुणा बढ़ाया है। आपके उदार सहयोग से जैन समय द्वारा सकल जैन समाज को नई Connectivity, Worldwide Unity एवं Information के महाअभियान को बड़ी शक्ति मिलेगी। हम आपके पूरे परिवार के लिये आरोग्यमय, धर्ममय, सर्व सुखमय जीवन की यशस्वी मंगलकामनायें करते हुए शत शत आभार प्रदर्शित करते हैं।