संतोषकुमारजी बागरेचा

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ऊँची सोच, दृढ़ निश्चय एवं मेहनत से सफलता के शिखर पर अग्रसर हैं
देव, गुरु, धर्म के प्रति प्रगाढ़ श्रद्धावान अनमोल रत्न संतोषकुमारजी बागरेचा

जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाई आए, अगर हम दृढ़ निश्चय के साथ मेहनत करते रहेंगे तो हमें सफलता जरूर मिलती है और वह सफलता सच्चा आनंद देती है।

सबके चहेते, सबके प्रिय, सरलता, विनम्रता, व्यवहार कुशलता के साथ उदार हृदय आदि गुणों का संगम हैं राजस्थान की सुप्रसिद्ध धर्म नगरी गढ़ सिवाना निवासी श्रेष्ठीवर्य स्व. हरकचंदजी – स्व. सुआदेवी बागरेचा के सुपौत्र एवं स्व. छगनराजजी – सुश्राविका चंचलबाई बागरेचा के तृतीय सुपुत्र, बेंगलूरु कर्नाटक के सुप्रतिष्ठित रियल एस्टेट व्यवसायी, जैन प्रॉपर्टी के मालिक उदारमना युवारत्न संतोषकुमारजी बागरेचा। आपने अपनी मिलनसारिता, विनम्रता एवं सज्जन स्वभाव से सभी के हृदय में अपना विशेष स्थान बनाया है।
आपका जन्म दानवीर कर्ण की भूमि कर्नाटक की राजधानी, उद्यान नगरी एवं आई.टी. सिटी के नाम से विश्व विख्यात बेंगलूरु में हुआ। आपने बी. कॉम एवं सी.ए. की पढ़ाई पूर्ण करने के पश्चात अपने रुचि के व्यवसाय रियल एस्टेट के क्षेत्र में अपने भाग्य को चमकाने के उद्देश्य से अपनी Jain Property के नाम से फर्म प्रारंभ की।
आपकी व्यवहार कुशलता, लगन एवं प्रामाणिकता से व्यवसाय प्रगति के पथ पर बढ़ता रहा। ग्राहकों की संतुष्टि आपकी सर्व प्रथम प्राथमिकता रहती थी। इस कारण
आपके ग्राहक आपसे अत्यंत प्रसन्न रहते थे। आप अपने रियल एस्टेट व्यवसाय के क्षेत्र में शीघ्र ही लोकप्रिय बन गए और वर्तमान में Jain Property एक ब्रांड नाम बन चुका है और इस व्यवसाय में सफलता आपके कदम चूम रही है।
संतोषकुमारजी बागरेचा के जीवन में गृहस्थजीवन में प्रवेश का स्वर्णिम अवसर आया। सप्तपदी के संस्कारों को संपन्न करते हुए आपका विवाह समदड़ी राजस्थान मूल के एवं बेंगलूरु निवासी मैनादेवी स्व. ममताजी के साथ संपन्न हुआ। वर्तमान में भंसाली परिवारजन बेंगलूरु एवं ऑस्ट्रेलिया में निवास कर रहे हैं।

धार्मिक और आध्यात्मिक प्रवृत्ति से ओतप्रोत, हँसमुख एवं शांत स्वभाव की धनी ममताजी ने एक कुशल गृहिणी के रुप में पारिवारिक कर्तव्यों का सुंदर रुप से निर्वाह किया और अपने पतिदेव को जीवन के हर क्षेत्र में पूरा साथ दिया। संतोषकुमारजी और ममताजी की जोड़ी युवा वर्ग के लिए एक अनुपम आदर्श है। अतिथि सत्कार में अग्रणी ममताजी बागरेचा सत्य बहु मंडल अक्कीपेट की सक्रिय सदस्या हैं। आप अपनी मिलनसारिता एवं एक दूसरे सहयोग करने के गुण से पार्कवेस्ट में भी शीघ्र ही लोकप्रिय हो गई हैं।

ममताजी का मानना है कि कठिनाई एक परीक्षा की तरह है, लगन एवं दृढ़ निश्चय से हर कठिनाई को जीता जा सकता है। परिवार के सदस्य एक दूसरे का पूरा साथ देना जरुरी है। परिवार एक छोटीसी दुनिया है और पारिवारिक एकजुटता से सफलता की हर मंजिल को पाया जा सकता है। ममताजी बागरेचा सामायिक, प्रतिक्रमण एवं तत्वज्ञान में निरंतर अभिवृद्धि करने हेतु प्रयत्नरत हैं। आपने कुछ माह पूर्व ही अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया जो अनुमोदनीय एवं प्रशंसनीय है।

आपके नमनजी, रौनकजी एवं नयनजी तीन पुत्ररत्न हैं। नमनजी का शुभ विवाह 20 अप्रैल को मरुधर में धुंधाड़ा के मूल निवासी एवं वर्तमान में बेंगलूरु एवं टुमकूर निवासी श्रेष्ठीवर्य मनोजकुमारजी – इंद्रादेवी पालरेचा की सुसंस्कारवान सुपुत्री मीनलजी के साथ हो रहा है। नमनजी बागरेचा अपनी पढ़ाई पूर्ण कर अपने पिता संतोषकुमारजी बागरेचा के रियल एस्टेट व्यवसाय से जुड़ गए और उसे प्रगति के शिखर पर पहुँचाने में पूरा साथ दे रहे हैं। आप व्यवसाय के साथ ही खेलों में भी
अच्छी रुचि रखते हैं और क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी हैं। अपने विनम्र स्वभाव से नमनजी अपने मित्रों एवं रिश्तेदारों में सबके प्रिय हैं।
आपके भाई-भाभी किशोरजी – संतोषदेवी, संजयजी – बीनादेवी एवं भ्राता – भ्रातावधु निलेशजी – काजलजी, नितिनजी – हेमाजी भी बेंगलूरु में ही निवासी एवं व्यवसायी हैं। आपकी दो बहनें पूनमजी – दिलीपजी संकलेचा हुबली एवं प्रियाजी – मिथुनजी चोपड़ा चित्रदुर्गा निवासी हैं। प्रियाजी चोपड़ा भी चित्रदुर्गा में सकल जैन समाज की धार्मिक गतिविधियों में पूर्ण सक्रिय हैं। वहाँ स्थानक भवन में भी धार्मिक पाठशाला संचालन में अग्रणी सेवाएँ प्रदान कर रही हैं।

आपकी मातृश्री चंचलबाई बागरेचा अत्यंत धर्म परायणा विदुषी सुश्राविका हैं। आपने अनेक वर्षों तक राजाजीनगर में अपने निवास पर बालक बालिकाओं के लिए जैन धार्मिक पाठशाला संचालित की और उन्हें प्रभावना, पुरस्कार द्वारा निरंतर प्रोत्साहित करते रहे हैं। चंचलबाई बागरेचा अभी भी धार्मिक पाठशालाओं में अध्यापन कराने में एवं जैन धर्म संस्कार शिविरों में सेवाएँ देने हेतु तत्पर हैं। आपने अपने पतिदेव को जीवन के हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया। उनके असमय स्वर्गवास के पश्चात अपनी संतानों के प्रति माता पिता दोनों का कर्तव्य निभाते हुए उनमें सुसंस्कारों एवं उत्साह का निर्माण किया और उन्हें हर प्रकार से सुयोग्य बनाया। आपके मार्गदर्शन में अपनी उदारता एवं व्यवहार कुशलता से आज आपका पूरा परिवार बेंगलूरु महानगर में प्रतिष्ठित स्थान रखता है।

आपका मानना है कि हमें चतुर्विध संघ की उन्नति की ओर चिंतन करना होगा। समाज के हर व्यक्ति को छोटी छोटी बातों में उलझना छोड़कर उदारता, दूरदर्शिता ऊँची सोच एवं विशाल दृष्टिकोण रखना आवश्यक है।

अनमोल रत्न संतोषजी बागरेचा सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं में अपने उदार हृदय से सहयोग प्रदान कर एक आदर्श जैन युवा के कर्तव्यों का सुंदर निर्वाह कर रहे हैं।

आपके पिताश्री का युवा अवस्था में ही स्वर्गवास हो गया था। आप अपनी ऊँची सोच, व्यवहार कुशलता, दृढ़ निश्चय एवं परिश्रम से सफलता के शिखर पर पहुँचे हैं।
आप अपनी विनम्रता, उदारता एवं समाज को आगे बढ़ाने की भावना से कम उम्र में ही जैन समाज में सबके चहेते बन गए हैं। आप अध्यात्म योगी, विश्वसंत उपाध्याय श्री पुष्करमुनिजी म.सा. एवं उपप्रवर्तक श्री नरेशमुनिजी म.सा. के प्रति विशेष श्रद्धाभाव रखते हुए सभी साधु साध्वी भगवंतों के प्रति आदर एवं सेवा भाव रखते हैं। बागरेचा परिवार श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, अक्कीपेट में ट्रस्टी है। संतोषकुमारजी बागरेचा श्री गुरु ज्येष्ठ पुष्कर चेरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं।

श्री सिवांची जैन भवन, लालबाग रोड क्रॉस, बेंगलूरु के ट्रस्टी हैं। राजस्थान संघ कर्नाटका के भी ट्रस्टी हैं। सकल जैन संघ पार्कवेस्ट एवं स्थानकवासी जैन संघ, पार्कवेस्ट के सक्रिय सदस्य हैं। जैन इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गेनाईजेशन (JITO) के FCP सदस्य हैं। JBN Business Network के अग्रणी सक्रिय सदस्य हैं।
National Realtor Association एवं Bengaluru Realtor Association of India के भी सदस्य हैं। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन युवक मंडल अक्कीपेट के सक्रिय सदस्य हैं। आप जीवदया एवं गौशाला में सहयोग हेतु तत्पर रहते हैं। साधर्मिक बंधुओं के उत्थान एवं सहयोग की भावना प्रशंसनीय है।
आप निःसंदेह एक आदर्श जैन युवा हैं और जिनशासन के प्रति अपने कर्तव्यों का सुंदर रुप से निर्वाह कर रहे हैं।

सबसे मेलजोल, प्रेम भाव रखना आपको अच्छा लगता है। आप सदैव प्रसन्न रहते हैं और मधुर व्यवहार से सभी में प्रसन्नता का संचार करते हैं।

जैन समय ‘अनमोल रत्न’ संतोषकुमारजी बागरेचा
जैन समय के ‘अनमोल रत्न’ संतोषकुमारजी बागरेचा की रग-रग में जैन धर्म की प्रभावना की भावना है। आप जैन एकता के प्रबल पक्षधर हैं। हम सब एक दूसरे का साथ दें तो सारे विश्व में जिनशासन जयवंत होगा। आपने जैन समय के स्तंभ सहयोगी बनकर हमारे उत्साह को अनेक गुणा बढ़ाया है। हम बागरेचा परिवार के लिये सर्वसुखमय जीवन की यशस्वी मंगलकामनायें करते हुए शत शत आभार प्रदर्शित करते हैं।