रमेशजी दक

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Ramesh Dak

जैन एकता के प्रबल पक्षधर, शांत स्वभावी, अनुशासन प्रिय, ऊँची सोच के धनी

लक्ष्य पर दृढ़ रहकर सफलता के शिखर पर पहुँचे रमेशजी दक

आँगन में भर तो स्वर्णिम आलोक, सूरज हर रोज निकलता है। बढ़े चलो लक्ष्य की ओर निरंतर, पुरुषार्थ से भाग्य संवरता है।

आग में तपकर सोना आभूषण का रूप लेता है। व्यक्ति भी जीवन में संघर्ष से लड़कर परिपक्व होता है और सफलता की सीढ़ियां चढ़ता है। जीतने वाले अलग कार्य नहीं करते वह कार्य को केवल अलग ढंग से करते हैं। एस आर एस ज्वेलर्स के रमेशचंदजी दक ऐसे विरत व्यक्तित्व है जिन्होंने अथक परिश्रम, ऊँची सोच और अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखते हुए नए प्रयोगों के साथ व्यापार के क्षेत्र में ऊँचाईयों को प्राप्त किया अपनी व्यवहार कुशलता, शांत स्वभाव व उदारता से समाज में विशिष्ट पहचान बनाई। वीर भूमि मेवाड़ के अत्यंत महत्वपूर्ण 101 गांवों के मदारिया क्षेत्र में बरार गांव के मूल निवासी बद्रीलालजी एवं गेहरीबाई दक के नौवीं संतान रमेशचंदजी दक अपने भाईयों और चार बहनों में सबसे छोटे हैं। करीब 70 वर्ष पूर्व उनके पिताजी बद्रीलालजी दक बेंगलूरु महानगर में नौकरी करने के लिए आए। कुछ माह नौकरी करने के बाद सन 1954 में अपने बड़े आता चंदनमलजी दक के साथ मिलकर गिरवी का व्यापार प्रारंभ किया और कुछ ही समय में कड़ी मेहनत और लगन से अपने प्रतिष्ठान आर. चंदनमल बद्रीलाल को सफलता की ऊँचाईयों पर पहुँचाया एवं आर चंदनमल बद्रीलाल ब्रोकर्स RCB के नाम से सुविख्यात हुए। कहते हैं भाग्य की रेखा कोई नहीं मिटा सकता। कार के शौकीन बद्रीलालजी ने सन 1965 में एम्बेसेडर कार खरीदी और सन 1966 में उसी कार में अपने 9 बच्चों और धर्म पत्नी के साथ सवार होकर राजस्थान में अपनी पुत्री प्रकाशबाई के विवाह के लिए जा रहे थे तभी रास्ते में कार का एक्सीडेंट हो गया जिसमें बद्रीलालजी और उनकी धर्मपत्नी की मृत्यु हो गई लेकिन सौभाग्य से उनकी 9 संतानों में से किसी को खरोंच तक नहीं आई और वे सुरक्षित बच गए। उस समय रमेशजी दक की आयु मात्र 9 माह थी। होश संभालने से पहले ही सिर से माता पिता का सानिध्य छिन जाने के बाद बड़े पिताजी चंदनमलजी बड़े सुपुत्र नेमीचंदजी ने स्वयं मात्र 14 वर्ष के के होते हुए सभी बच्चों और पूरे परिवार को संभाला क्योंकि चंदनमलजी का भी जल्दी देहावसान हो गया था। तथा चंदनमलजी की धर्मपत्नी भूरीबाई ने सभी बच्चों को अपने आंचल की छांव तले बड़ा किया और उन्हें मां का प्यार दुलार दिया।

रमेशजी दक ने 1984 में B.Com की शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात राजहंस मार्बल के नाम से व्यापार आरंभ किया। लगभग 15-17 वर्ष उसमें व्यवसाय करने के पश्चात उन्होंने यह व्यापार अपने भाणेज को सौंप कर करीब पचास लाख रुपए की पूंजी से एस.आर.एस. ज्वेलर्स के नाम से अपना खानदानी सर्राफा होलसेल व्यापार आरंभ किया। उन्होंने कठोर परिश्रम और अपने मृदुल स्वभाव के कारण ज्वेलर्स व्यवसाय को बुलंदियों तक पहुंचाया। आपने सन् 2002 में रियल एस्टेट और सन् 2010 में कंस्ट्रक्शन फील्ड में अपने भाग्य को परखा और सफल हुए।

आपने अपने गांव और आसपास के क्षेत्रों के 100 से अधिक लोगों को बैंगलूरु में निखी का व्यापार सिखाया और उन्हें व्यापार करवाया जिनमें से अधिकांश लोग वर्तमान में बड़े व्यापारी है और आज मी ये उनके गुण गाते हैं।

आपका विवाह छापली निवासी नेमीचंदजी –

से हुआ। अतिथि सत्कार में निपुण मीतादेवी अत्यंत मिलनसार व मधुर स्वभाव की धनी हैं। मीतादेवी तेरापंथ महिला मंडल गांधीनगर, जीतो लेडीज विंग एवं ईटा जैन महिला मंडल आदि की सक्रिय सदस्य हैं। रमेशजी अपनी सफलता में मीतादेवी का योगदान मानते हुए कहते हैं कि उन्होंने हर कस्टम पर साथ दिया तथा जीवन के कठिन क्षणों में उनका आत्मविश्वास डिगने नहीं दिया। आपके अग्रज भ्राता भाभी रतनीबाई स्व. नेमीचंदजी, मीनादेवी स्व. महावीरचंदजी, गौतमचंदजी सुनितादेवी, सम्पतलालजी इंद्रादेवी, बहन बहनोई स्व. सुशीलाबाई शांतिलालजी देरासरिया देवगढ़, प्रकाशबाई स्व. ताराचंदजी मुणोत आमेट, पदमाबाई स्व. पारसमलजी श्रीमाल छापली-सूरत, कांताबाई-जसवंतजी मांडोत रायपुर, स्व. धापूबाई कैलाशचंदजी गन्ना शिवपुर-बेंगलूरु का आपके ऊपर असीम स्नेह है। आपकी पुत्री पूजा का विवाह लूणी जोधपुर मूल के बेंगलूरु निवासी धनपतराजजी किरणबाई पारख के सुपुत्र रिषभजी पारख के साथ संपन्न हुआ है।

निवासी प्रकाशचंदजी कमलादेवी गादिया की गुणवान सुपुत्री मनीषा के साथ संपन्न हुआ है। अक्षयजी बीबीएम की पढ़ाई के पश्चात अपने पिता के व्यवसाय को सुंदर रुप से संचालित कर रहे हैं। तेरापंथ धर्म संघ के आचार्य श्री महाश्रमणजी द्वारा दिग्दर्शित मार्ग का अनुसरण करने वाले रमेशजी दक ने अपने जीवन में आने वाली हर चुनौती को परास्त किया और अपनी सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते रहे। तेरापंथ भवन गांधीनगर का नवीनीकरण करवाया। मेवाड़ भवन यशवंतपुर हॉल का निर्माण। मेवाड़ भवन कामलीघाट राजस्थान का भूमि पूजन का लाभ लिया। जय जैन गौशाला, ताल में चारे पानी की व्यवस्था। 100 सिलाई मशीन मागड़ी रोड पर जरूरतमंद महिलाओं में स्वरोजगार के लिए बांटी। एम.जे.वाई.एफ. की 2000 लोगों की डायरेक्टरी बनवाई। तेरापंथ युवक परिषद में अनेकों ब्लड कैंप आयोजित करवाए। तथा वृहद कवि सम्मेलन सहित अनेक सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किए। अनाथ आश्रम में आवश्यक सामग्री बांटी।

रमेशजी दक के जीवन का आदर्श निज पर शासन और फिर अनुशासन है। गुरु भक्ति में अग्रणी जैन एकता के प्रबल पक्षधर, संप्रदायवाद से कोसों दूर हैं।

पद प्रतिष्ठा

एपेक्स डायरेक्टर : JIO कोषाध्यक्ष : जैन इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन अध्यक्ष ईटा सकल जैन संघ ट्रस्टी भगवान महावीर जैन हॉस्पिटल FCP एवं कमेटी सदस्य: जीतो ट्रस्टी एवं उपाध्यक्ष तेरापंथ ट्रस्ट, बेंगलूरु मंत्री आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति, बेंगलूरु 2019 ट्रस्टी तैरापंच सभा गांधीनगर, विजयनगर, राजाजीनगर, उपाध्यक्ष : मेवाड़ पैलेस मेंबरशिप चेयरमैन राजस्थान संघ कर्नाटका मार्गदर्शक: महावीर इंटरनेशनल पूर्व मार्गदर्शक: जैन रिलीफ फाउंडेशन पूर्व अध्यक्ष : मेवाड़ जैन यूथ फेडरेशन पूर्व उपाध्यक्ष, पूर्व मंत्रीः तेरापंथ युवक परिषद मंत्री: तेरापंथ ट्रस्ट बेंगलूरु ट्रस्टी आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ चेतना केन्द्र, ट्रस्टी आचार्य महाप्रज्ञ माध्यमिक विद्यालय, ट्रस्टी, कार्य. समि. स.ः आचार्य तुलसी स्कूल कमेटी सदस्यः तेरापंथ सभा राजाजीनगर, विजयनगर, गांधीनगर, विजयनगर मित्र मंडल सलाहकार, सदस्य मागड़ी रोड युवक मंडल बरार मित्र मंडल, राजस्थानी मित्र मंडल सदस्य: इंटरनेशनल वैश्य फेडरेशन

आपके नए प्रतिष्ठान ‘मनी एक्स’ का मागड़ी रोड स्थित नवनिर्मित व्यवसायिक कॉम्पलेक्स ‘संकल्प बिजनेस वे’ में भव्य शुभारंभ हुआ है। नेशनल वर्चुअल यूनिवर्सिटी फॉर पीस एंड एजुकेशन ने आपको समाज कल्याण एवं समाज सेवा कार्यों हेतु सन् 2019 में मानद डॉक्टरेट की उपाधि से अलंकृत किया है। ‘जैन समय’ द्वारा दक परिवार के लिये आरोग्यमय, धर्ममय, सुखमय जीवन की यशरवी मंगलकामनायें व करते हुए आपका शत शत आभार प्रदर्शित करते हैं।

जैन समय ‘अनमोल रत्न’ रमेशजी दक

विराट व्यक्तित्व के धनी, जैन जगत की शान, उदारमना, मिलनसार जैन समय के ‘अनमोल रत्न’ रमेशजी दक की रग-रग में जैन धर्म की प्रभावना की प्रबलतम भावना है। इसी भावना से आप हमारे विश्व व्यापी धर्मप्रचार अभियान को गति देने हेतु जैन समय के स्तंभ सहयोगी बने हैं।