विनम्र व्यवहार एवं उदार हृदय के साथ जैन समाज का गौरव बढ़ा रहे हैं
ऊँची सोच, निःस्वार्थ सेवा भावना के संगम, धर्मनिष्ठ अनमोल रत्न प्रकाशचंदजी बाबेल
विनय धर्म का मूल है। विवेक धर्म का प्राण है। ये दोनों जहाँ होते हैं वहाँ धर्म का वास होता है।
व्याप्त है, ऐसी वीर भूमि मेवाड़ में ठीकरवास कलों, जिला राजसमंद के प्रतिष्ठित बाबेल परिवार के धर्म निष्ठ सुश्राविका स्व. गट्टूबाईजी सुश्रावक स्व, किशनलालजी बाबेल के आठवें सुपुत्र बेंगलूरु निवासी प्रकाशचंदजी बाबेल जैन समाज की उन्नति हेतु सक्रिय योगदान प्रदान कर रहे हैं। आपकी प्रारंभिक शिक्षा ठीकरवास एवं बरार में हुई। माध्यमिक शिक्षा लसानी में प्राप्त की। आप युवा अवस्था से ही विशाल सोच के बनी हैं। आज से करीब 60 वर्ष पूर्व आपके बड़े भ्राता अर्जुनलालजी बेंगलूरु में व्यवसाय करने हेतु पथारे और यशवंतपुर में एल. एल. बैंकर्स के नाम से गिरवी का व्यवसाय प्रारंभ किया। प्रकाशचंदजी सर्वप्रथम 1969 में चेन्नई पधारे और वहीं गिरवी का कार्य सीखा। 1974 में आप बेंगलूरु में अपने भाई साहब के साथ व्यवसाय में जुड़ गए। व्यवसायिक कुशलता एवं सृजनात्मक क्षमता के धनी प्रकाशचंदजी ने 1977 में आपने स्वयं का प्रतिष्ठान प्रकाश जनरल स्टोर्स प्रारंभ किया और 1980 में दीपक एंटरप्राईजेज के नाम से रेल्वे स्टेशन रोड यशवंतपुर में गिरवी एवं ज्वेलर्स का प्रतिष्ठान प्रारंभ किया। अपने मधुर व्यवहार एवं हँसमुख स्वभाव से आप अपने ग्राहकों के हृदय में बस जाते हैं, जिससे आपका व्यवसाय निरंतर प्रगति पथ पर बढ़ता रहा और आपने 1996 में यशवंतपुर मैन रोड में सुरभि ज्वेलर्स का शुभारंभ किया जो ज्वेलरी का एक विख्यात प्रतिष्ठान है। तत्पश्चात प्रकाश ज्वेल्स एंड डायमंड्स प्रारंभ किया जो यशवंतपुर का डायमंड ज्वेलरी एवं स्वर्णाभूषणों का बड़ा प्रतिष्ठित शोरुम है।
आपके बड़े भ्राता स्व. गोकुलचंदजी भिवंडी, स्व. अर्जुनलालजी बेंगलूरु-मुंबई, स्व. वसंतकुमारजी बेंगलुरु, स्व. कनौयालालजी मुंबई, संपतराजजी उधना सूरत एवं पारसमलजी बाबेल के परिवार बेंगलूरु निवासी है। आपके बहन-बहनोई कंचनबाई स्व. लादुलालजी हीगढ़ के सुपुत्र चंद्रेशजी हींगड़, बेगलूरु कटार, आसींद एवं बेंगलूरु, विनोदजी हींगड़, आसीद, प्रवीणजी हींगड़ बेंगलूरु निवासी है। आपके 5वें बड़े भ्राता स्व. सुवालालजी जिनका कम उम्र में देहावसान हो गया था उनकी संसार पक्षीय धर्मपत्नी वर्तमान में साध्वी श्री संयमरत्नाजी म.सा. हैं जिनकी 45 वर्ष की सुदीर्घ संयम पर्याय है और इस वर्ष चातुर्मास जयपुर में संपन्न हुआ है। 1979 में आपका विवाह नागौर राजस्थान निवासी स्व. ज्ञानकंवरजी स्व. नेमीचंदजी ललवानी की गुणवान सुपुत्री एवं कब्बनपेट, बेंगलूरु निवासी सज्जनराजजी, धनपतराजजी ललवानी की बहन सरलादेवी के साथ संपन्न हुआ। मिलनसार एवं व्यवहार कुशल सरलादेवी सरलता एवं धर्मनिष्ठा की मूर्ति थी। उन्होंने अपने जीवन में मासक्षमण, दो वर्षीतप एवं अनेक तपाराधनाएँ की। तेरापंथ महिला मंडल में भी वे सक्रिय थी। साधु साध्वी भगवंतों की सेवा में सदैव अग्रणी रहते थे। सन 2017 में उनका आकस्मिक स्वर्गवास पर आचार्यश्री महाश्रमणजी एवं साध्वी प्रमुखा श्री कनकप्रभाजी ने बाबेत परिवारजनों को प्रेरणा पाथेय प्रदान किया। आपके प्रथम पुत्र दीपकजी का विवाह गणपतराजजी हिरण, आमेट-सूरत-बेंगलूरु की सुपुत्री श्री रेखा के साथ संपन्न हुआ है। आपके द्वितीय पुत्र विकासजी ज्वेलरी का व्यापार संभाल रहे हैं। आपके पौत्र ध्रुव एवं पौत्री यश्वी है। आपके पुत्री-जंवाई वंदना-मनोजकुमारजी दुकलिया (राजाजी का करेड़ा बेंगलूरु), दौहित्र रियांश एवं दौहित्री परी हैं।
प्रकाशचंदजी बाबेल बचपन से ही अपने माता पिता से कठोर परिश्रम, लगन, दृढ़ संकल्पता, सरलता, विनम्रता, निरभिमानता, मानव सेवा एवं बार्मिक सुसंस्कारों को प्राप्त कर प्रतिभाशाली रहे हैं। आप अपने लक्ष्य पर निरंतर जुटे रहते हैं और किसी भी कठिनाई से विचलित नहीं होते हैं। आप सन् 1990 में युवा अवस्था से ती सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं से जुड़ गए। आप सन् 1992 में अणुव्रत समिति गाँधीनगर से जुड़े। भिक्षु याम से आजीवन सदस्य के रुप में जुड़े और सहमंत्री के रूप में सक्रिय सेवाएँ दी। श्री मेवाड़ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कॉन्फ्रेंस राजनगर के आप ट्रस्टी के रूप में जुड़े। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सभा, गाँधीनगर के सदस्य बने एवं तेरापंथ युवक परिषद में सक्रिय रहे। भिक्षु धाम में चम्म जागरण के विशाल आयोजन के संयोजक बनकर उसे यशस्वी रुप से सफल बनाने का दायित्व निर्वाह किया। आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ चेतना केन्द्र के ट्रस्टी एवं तेरापंथ सभा यशवंतपुर के ट्रस्टी हैं। आचार्य श्री तुलसी मडाप्रङ्ग सेवा केन्द्र बेंगलूरु के विशिष्ट निर्माण सहयोगी बने। भिक्षु धाम के स्तंभ सहयोगी हैं। एवं निर्माण में एक कमरे का भी सहयोग प्रदान किया है। तेरापंथ सभाभवन में कमरे के सहयोगी भी हैं। तेरापंथ डावगनोस्टिक सेंटर में सहयोगी हैं। बेंगलूरु में जैन हॉस्टल में भी सहयोगकर्ता हैं। अपने पिताश्री एवं मातृची किशनलालजी गद्दूबाई बाबेल की स्मृति में मेवाड़ भवन, कामलीघाट, राज. में भी आपने भोजनशाला के सौजन्यकर्ता का बड़ा लाभ लिया है। तेरापंथ सभा यशवंतपुर से मुंबई इस वर्ष गुरुदर्शन यात्रा संप 2023 के भी सहयोगी है। अणुव्रत संपोषक के रुप में अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी को अनुदान दिया है। अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के वर्ष 2022 – 24 के आप परामर्शक भी है।
आपने तेरापंथ सभा यशवंतपुर के अध्यक्ष पद का महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व संभाला। तेरापंथ सभा यशवंतपुर में भूमि तल के सौजन्यकर्ता का सहयोग प्रदान किया है। आपके अध्यक्षीय कार्यकाल में तीन मुमुक्षुओं की दीका यशवंतपुर में संपन्न हुई। आचार्य महाश्रमणजी के सन् 2018 चेत्रई चातुर्मास में यशवंतपुर से गुरु दर्शन यात्रा संघ का विशाल आयोजन हुआ एवं अनेक विशेष आध्यात्मिक संपीय कार्यक्रमों द्वारा संघ के गौरव में अभिवृद्धि हुई। आपने अपनी ओर से यशवंतपुर सभा में संघ सेवा में चौपहिया वाहन भेंट किया है। आप वर्तमान में तेरापंथ सभा ट्रस्ट गाँधीनगर के अध्यक्ष पद का गौरवशाली दायित्व निर्यात कर रहे हैं। ट्रस्ट अध्यक्ष के रुप में आपके कार्यकाल में गल वर्ष विद्वानमुनि श्री अर्हतकुमारजी ठाणा 2 एवं इस वर्ष विद्वानमुनि श्री हिमांशुकुमारजी ठागा 2 का चातुर्मास यशस्वी रुप से संपन्न हुआ है। आपके अपने पैतृक गाँव ठीकरवासकलों में धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रमों में भी सहयोग रहता है।
संघ सेवा में भी अग्रणी हैं प्रकाशचंदजी बाबेल
आचार्यश्री महाश्रमणजी के बैंगलूरु चातुर्मास व्यवस्था समिति 2019 के मंत्री के रुप में प्रकाशचंदजी बाबेल ने पूर्ण समर्पित सेवाएँ प्रदान की और अर्थ व्यवस्था में डायमंड डोनर बनकर विपुल विसर्जन किया। भोजन व्यवस्था के संयोजक का महत्वपूर्ण दायित्व भी निर्वहन किया। लगभग दो वर्ष तक चातुर्मास व्यवस्था हेतु अर्थ व्यवस्था टीम के साथ अहर्निश सेवाएँ प्रदान की। संघ के प्रति आपका समर्पण अभिनंदनीय है। आचार्यश्री महाश्रमणजी की आप पर असीम कृपा बरस रही है।
बरखेड़ा वीर्थोद्धारिका, महतरा साध्वी श्री सुमंगलाश्रीजी म.सा. की सुशिष्या जयपुर में विराजित साध्वी श्री कुसुमप्रभाश्रीजी की निश्रा में आपके संसार पक्षीय भाभीजी म.सा. साध्वीजी संयमरत्नाश्रीजी की सेवा में भी समर्पित रहते हैं। श्री शक्तिपीठ माता पद्मावती सेवा संस्थान जयपुर हेतु वावेल परिवार द्वारा बरखेड़ा, मेरुतारक, नाकोड़ाजी, पावापुरी तीर्थ, 72 जिनालय, शंसोधर तीर्थ, मणिलक्ष्मी तीर्थ, जीरावला पार्श्ववाथ तीर्थ, मुंबई, वापी, वडोदरा, महावीर साधना केन्द्र अहमदाबाद आदि की 12 दिवसीय यात्रा संघ का सुंदर आयोजन भी किया गया
आप मेवाड़ बीसा ओसवाल जैब संघ बेंगलूरु के मंत्री के रुप में भी अपनी सक्रिय सेवाएँ प्रदान कर चुके हैं। विसर्जन के रूप में अनेक संधीय एवं स्थानीय सामाजिक कार्यक्रमों में विपुल सहयोग किया है। जैन एवं जैनेतर समाज में आपकी विशिष्ट प्रतिष्ठा है।
जैन समय ‘अनमोल रत्न’ हैं प्रकाशचंदजी बाबेल
जैन समय के ‘अनमोल रत्न’ प्रकाशचंदजी बाबेल की रम-रग में जैन धर्म की प्रभावना की प्रबलतम भावना है। जैन समय के विश्व व्यापी धर्मप्रचार अभियान को गति देने हेतु आपने जैन समय के स्वंग सहयोगी बनकर हमारे उत्साह को अनेक गुणा बढ़ाया है। हम वावेल परिवार के लिये सर्वसुखमय जीवन की यशस्वी मंगलकामनायें करते हुए शत शत आभार प्रदर्शित करते हैं।