उदार हृदय से लक्ष्मी का सदुपयाेग कर महान पुण्याेपार्जन कर रहे हैं दलीचंदजी नाहटा
श्रवणकुमार की तरह सेवा का आदर्श प्रस्तुत कर रहे हैं युवारत्न किशनलालजी नाहटा
राजस्थान की सुहावनी नगरी पिपलियाकलाँ के मूल निवासी स्व. गुलाबचंदजी नाहटा के सुपौत्र एवं स्व. सुंदरबाई – स्व. दीपचंदजी नाहटा के सुपुत्र दलीचंदजी नाहटा एवं दलीचंदजी नाहटा के सुपुत्र किशनलालजी नाहटा जिनशासन की सेवा में बढ़-चढ़कर सहयोग करके समाज में एक नया आदर्श प्रस्तुत कर रहे हैं।
दलीचंदजी नाहटा के पिताश्री दीपचंदजी नाहटा का जन्म लासलगाँव, महाराष्ट्र में हुआ। आपने करीब 85 वर्ष पूर्व बंगारपेट में पधारकर अपना व्यवसाय प्रारंभ किया और कुछ ही समय में वहाँ पर अपना प्रतिष्ठित स्थान अर्जित कर लिया। आपके नौ पुत्र एवं दो पुत्रियों ने जन्म लिया जिनमें तीसरे पुत्र दलीचंदजी नाहटा बचपन में ही अत्यंत प्रतिभा संपन्न रहे। उन्होंने सभी भाई बहनों का सर्वाधिक स्नेह एवं विश्वास अर्जित किया।
सभी भाईयों ने संयुक्त रुप से बंगारपेट में शा. दीपचंद तिलोकचंद नाहटा के नाम से फैंसी स्टोर्स प्रारंभ किया जो शीघ्र ही अत्यंत लोकप्रिय हो गया। तत्पश्चात बीज का व्यवसाय, कपड़े का व्यवसाय एवं एक और प्रतिष्ठान सुनील ज्वेलर्स एंड बैंकर्स प्रारंभ कर सफलता के शिखर पर बढ़ते गए। आपके बड़े भाई तिलोकचंदजी नाहटा ने वेस्ट माम्बलम्, चेन्नई में बी. तिलोकचंद सीड्स के नाम से प्रतिष्ठान प्रारंभ किया।
दलीचंदजी नाहटा का विवाह शूले बेंगलूरु के निवासी ज्ञानगच्छ के अग्रणी तत्वज्ञ विद्वतवर्य धर्मपरायण सुश्रावक स्व. भीकमचंदजी – स्व. पानीबाई गादिया की सुपुत्री एवं जैन योग ध्यान साधना केन्द्र के संस्थापक डाॅ. रमेशजी गादिया की बड़ी बहन सुसंस्कारवान अत्यंत गुणवान प्रकाशबाई के साथ संपन्न हुआ।
आप दोनों की आदर्श जोड़ी समाज के लिए प्रेरक है।
दलीचंदजी नाहटा ने अपने व्यवसाय में अभिवृद्धि करते हुए 1973 में केजीएफ में हैप्पी ड्रेसेस एंड वाॅचेस के नाम से एच.एम.टी. घड़ियों का होलसेल व्यापार प्रारंभ किया। आज से करीब 35 वर्ष पूर्व आपके पिताश्री दीपचंदजी नाहटा का स्वर्गवास हो गया। आपके कंधों पर पूरे परिवार का उत्तरदायित्व आया जिसे आपने अपनी सूझबूझ एवं कुशलता से बहुत सुंदर रुप से निर्वाह किया।
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सन् 2000 में हैप्पी सिल्वर पैलेस प्रारंभ करने एवं स्वर्णाभूषणों के होलसेल व्यापार द्वारा आप सफलता के नए शिखर पर बढ़ते गए।
आप भौतिक संपदा में अभिवृद्धि के साथ ही पुण्य संपदा में भी निंरतर अभिवृद्धि करते रहे। आप अपने दोनों वरद हस्त से लक्ष्मी का सदुपयोग करने में अग्रसर हो गए।
आपका परिवार जैन एकता का आदर्श है। ज्ञानगच्छाधिपति श्री प्रका×ाचंदजी म.सा. के प्रति प्रगाढ़ श्रद्धावान दीपचंदजी किशनलालजी नाहटा परिवारजनों ने बंगारपेट में सन् 2006 में रत्नवंशीय आचार्य श्री हीराचंद्रजी म.सा. के चातुर्मास में अनुकरणीय, अभिनंदनीय सेवाएँ प्रदान की।
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हुक्मगच्छाधिपति आचार्य श्री रामलालजी म.सा. के सन् 2014 में बंगारपेट में भगवान महावीर जयंति के अवसर पर विराजने के समय विशेष श्रद्धा भाव के साथ जुड़े और समर्पित सेवाएँ प्रदान की।
आपके सुपुत्र किशनलालजी नाहटा एवं सुपुत्री सरिता अशोकचंदजी खाबिया (श्रीरामपुरम, बेंगलूरु) आपके सुसंस्कारों एवं आदर्शों का अनुसरण कर रहे हैं। किशनलालजी का विवाह पूनमल्ली, चेन्नई निवासी हीरालालजी पारसबाई भुरट की सुपुत्री विजयाबाई के साथ संपन्न हुआ जो अपने सास ससुर की सेवा में अहर्निश तत्पर हैं। किशनलालजी नाहटा युवा अवस्था से ही अपने व्यवसाय को सफलता के नए आयाम देने हेतु संकल्परत थे।
किशनलालजी ने सन् 2006 में बेंगलूरु में D.N. Jewellers के नाम से स्वर्णाभूषणों का होलसेल व्यापार प्रारंभ किया। तत्पश्चात D.N. Gold तथा Sheetal Chains प्रारंभ कर बेंगलूरु के ज्वेलर्स जगत में सफलता का परचम लहरा रहे हैं।
दलीचंदजी के पौत्र पौत्रवधु विशालकुमारजी-शीतलजी, विकासकुमारजी-निकिताजी, प्रपौत्र हर्ष एवं प्रपौत्रियाँ आयुषी, नीवी, राशि, त्रिशा भी सुसंस्कारों से ओतप्रोत हैं।
दौहित्र सुजलजी खाबिया, दौहित्री-जंवाई प्रियंका-मितेषजी डोसी मालूर, परदौहित्र वीर डोसी, परदौहित्री माहि डोसी आदि भरापूरा सुसमृद्ध एवं सुसंस्कारवान परिवार है।
दलीचंदजी नाहटा के बड़े भ्राता स्व. तिलोकचंदजी के सुपुत्र राजेन्द्रजी व अशोकजी वेस्ट माम्बलम् चेन्नई, स्व. जवरीलालजी के सुपुत्र सुनीलजी बंगारपेट में एवं अनिलजी बेंगलूरु में, छोटे भ्रातागण स्व. हीरालालजी के सुपुत्र आनंदजी बेंगलूरु में एवं विनोदजी बंगारपेट में, प्रकाशचंदजी के सुपुत्र संजयकुमारजी, विजयकुमारजी बेंगलूरु में, महावीरचंदजी के सुपुत्र आशीषजी बंगारपेट में, उत्तमचंदजी के सुपुत्र राहुलजी एवं राकेशजी बेंगलूरु में, स्व. अभयकुमारजी के सुपुत्र रोहितजी एवं आकाशजी केजीएफ में व्यवसायिक क्षेत्र में प्रतिष्ठित हैं। आपके बहन बहनोई स्व. मल्लिबाई – स्व. अगरचंदजी छाजेड़ का परिवार एवं कांताबाई कांतिलालजी दुगड़ केजीएफ में निवास कर रहे हैं।