अशोकजी बोहरा

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ऊँची सोच एवं सम्यक पुरूषार्थ से मिलती है सफलता की मंजिल सज्जनता, कुशल व्यवहार व उदारता के संगम हैं अशोकजी बोहरा

जो चाहा वह मिल जाना, ‘सफलता’ है, जो मिला है उसको चाहना, ‘प्रसत्रता’ है। हर हाल में प्रसन्न रहना, जीवन की सफलता है।।

सज्जन स्वभाव, विनम्रता, मिलनसारिता, व्यवहार कुशलता, मधुर भाषिता आदि अनेक सद्‌गुणों का संगम हैं राजस्थान में घाणा, बुंधाड़ा जिला जालोर मूल के कर्नाटक में बेंगलूरु निवासी सुप्रसिद्ध फार्मा व्यवसायी श्रेष्ठिवर्य अशोकजी बोहरा। महान पुण्यवान श्रीमती पुष्पादेवी स्व. चम्पालालजी बोहरा के सुपुत्र एवं दृढ़ निश्चय तथा साहस के प्रतीक स्व. सागरमलजी – स्व. उमरावबाई के सुपौत्र अशोकजी बोहरा विशेष प्रतिभा के घनी हैं। विनम्रता, सरलता एवं व्यवहार कुशलता के साथ ही धार्मिक संस्कार उन्हें बाल्यकाल से ही मिलते रहे जो वर्तमान में भी एक प्रबल शक्ति की तरह इनके साथ है। उन्होंने करीब 60 वर्ष पूर्व अपनी फर्म चम्पालाल कान्तिलाल नाम से प्रारंभ की। आपने व्यापार जगत में बड़ी प्रतिष्ठा प्राप्त की। चम्पालालजी के तीन पुत्र पुत्रवधु आपके दादाजी सागरमलजी बोहरा ने करीब 100 वर्ष पूर्व डी.एस. लेन चिकपेट में मैं. सागरमल चम्पालाल नाम से अपना प्रतिष्ठान प्रारंभ किया। सागरमलजी बोहरा जैन दिवाकर प्रसिद्ध वक्ता की चौथमलजी म.सा. के प्रति प्रगाढ़ श्रद्धानिष्ठ आवक थे। सागरमलजी बोहरा के सुपुत्र चम्पालालजी बोहरा भी बचपन से अत्यंत प्रतिभाशाली थे। एक उत्तम व्यवसायी के सभी गुण उनमें थे।

उन्होंने करीब 60 वर्ष पूर्व अपनी फर्म चम्पालाल कान्तिलाल नाम से प्रारंभ की। आपने व्यापार जगत में बड़ी प्रतिष्ठा प्राप्त की। चम्पालालजी के तीन पुत्र पुत्रवधु कान्तिलालजी-चन्द्रकलाबाई, रमेशकुमारजी बबिताबाई एवं अशोकजी अंजुजी बोहरा हैं। अशोकजी बोहरा हँसमुख स्वभाव के अत्यंत ही मिलनसार व्यक्ति हैं। आप अत्यंत उत्साही एवं दृढ़ संकल्प के धनी हैं। आप तीनों भाईयों की जोड़ी प्रेम एवं संगठन का प्रतीक है। तीनों भाईयों ने आधुनिक सोच, कड़ी मेहनत एवं लगन से बॉयोफार्म को उन्नति के शिखर पर पहुँचाया। अशोकजी बोहरा की धर्मपत्नी अंजुजी बोहरा वसंतनगर, बेंगलूरु निवासी, राजस्थान में सोजत मूल के धनपतराजजी निर्मलादेवी सुराणा की गुणवान सुपुत्री है। आप अतिथि सत्कार एवं मान मनुहार में अग्रणी है। धर्मनिष्ठ श्राविका अंजुजी बोहरा अनेक जैन महिला मंडलों से जुड़ी हुई हैं। आपके ज्येष्ठ सुपुत्र अभय बोहरा M.S. (USA) का विवाह कॉक्सटाऊन बेंगलूरु के सुप्रसिद्ध संतोष हॉस्पीटल एवं राईस ब्रॉन ऑयल मिल, तुमुकूरु वाले दिलीपजी-ज्ञानाबाई सकलेचा (सिंधनूर-बेंगलूरु) की सुपुत्री स्नेहा के साथ संपन्न हुआ।

आपके द्वितीय पुत्र आशीष B.E. की सगाई जैन समय के ‘अनमोल रत्न’ मानव रूप में देव समान उदार हृदय के धनी, मिलनसारिता के आदर्श, ज्वेलरी एवं रियलएस्टेट व्यवसाय के सुविख्यात जे.जे.जे. ग्रुप के श्रेष्ठिवर्य दिनेशकुमारजी-हेमलताजी पगारिया की गुणवान सुपुत्री अर्चना के साथ संपन्न हुई है। बेंगलूरु महानगर में जैन समाज में आपने अपने कुशल व्यवहार से विशेष पहचान बनाई है। आपने अपने मधुरभाषिता से हर व्यक्ति के हृदय में महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। आप जीवदया प्रेमी है। आप विनम्रता, सरलता के प्रतीक है। आप अनेक सामाजिक एवं समाज सेवी संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। राजस्थान यूथ एसोसिएशन के आजीवन सदस्य हैं आर.सी.सी. के आजीवन सदस्य हैं विजयनगर जैन संघ के सहयोगी हैं कर्नाटका ड्रग्स एंड फार्मास्युटिकल्स एसोसिएशन के सदस्य हैं। बोहरा परिवार समाज को योगदान में अग्रणी है। आपके दादाजी सागरमलजी बोहरा ने घाणा, राजस्थान में स्कूल एवं हॉस्पीटल का निर्माण कराकर सरकार को सुपुर्द कर दिया। उदयपुर में वृद्धाश्रम का निर्माण कराया एवं अनेक स्कूलों में कमरे एवं निर्माण में सहयोगी बने। बोहरा परिवार धर्म एवं समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाह करने में अग्रणी है और सदा समाज की प्रगति चाहने वाला है। अनाथ आश्रम एवं गौशालाओं में आपके परिवार का उल्लेखनीय योगदान है।

आपके वो बहन बहनोई निर्मलाबाई- वसंतराजजी रांका, बेंगलूरु में एवं शर्मिलाबाई विनयकुमारजी ढ़ाबरिया, चेन्नई में अत्यंत प्रतिष्ठित परिवार है। आपका कहना है कि समाज की उन्नति में हर व्यक्ति की उन्नति है। हमारी संस्कृति की सुरक्षा की हम सबकी जिम्मेदारी है। सबके हित में हमारा हित निहित है। कड़ी मेहनत और अच्छी भावना के साथ कार्य करते रहने से हर सफलता प्राप्त की जा सकती है। आवश्यकता है ऊँचा मनोबल, अच्छी सोच, सही व्यवहार एवं निरंतर पुरुषार्थ की। व्यक्ति कितना भी बड़ा बन जाए उसे अहंकार से दूर रहना चाहिए।

समाज की सर्वांगीण उन्नति चाहने वाले अशोकजी बोहरा की ऊँची सोच, सरलता, विनम्रता एवं उदार हृदय की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। आपके हृदय में अहंकार का कोई स्थान नहीं है। सरलता एवं विनम्रता को आपने अपने जीवन में समाहित किया है। मधुर व्यवहार एवं आत्मीयता को आप सर्वोपरि मानते हैं।

जैन समय ‘अनमोल रत्न’ हैं अशोककुमारजी बोहरा

विराट व्यक्तित्व के धनी, जैन जगत की शान, उदारमना, मिलनसार जैन समय के ‘अनमोल रान” अशोककुमारजी बोहरा की रग-रग में जैन धर्म की प्रभावना की प्रबलतम भावना है। इसी भावना से आप जैन समय के विश्व व्यापी धर्मप्रचार अभियान को गति देने हेतु जैन समय के स्तंभ सहयोगी बने हैं। आपका मानना है कि जैन धर्म का पूरे विश्व में विशाल स्तर पर प्रचार प्रसार होना चाहिये। ‘जैन समय’ के विश्वव्यापी स्तर पर जैनत्व के प्रचार प्रसार एवं समग्र जैन समाज को एक दूसरे के साथ जोड़ने के लक्ष्य से आप बहुत प्रभावित हुये। और हमारे स्तंभ सहयोगी बने। जैन समय के स्तम्भ सहयोगी बनकर आपने हमारे उत्साह को अनेक गुणा बढ़ाया है। आपके उदार सहयोग से जैन समय द्वारा सकल जैन समाज को नई Connectivity, Worldwide Unity एवं Information के महाअभियान को बड़ी शक्ति मिलेगी। हम आपके पूरे परिवार के लिये आरोग्यमय, धर्ममय, सर्व सुखमय जीवन की यशस्वी मंगलकामनायें करते हुए शत शत आभार प्रदर्शित करते हैं।

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