मूलचंदजी पोरवाड़

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उत्तम प्रज्ञा, प्रामाणिकता और व्यवहार कुशलता के साथ शून्य से शिखर पर पहुँचे विनम्रता, ऊँची सोच और उदार हृदय के धनी, अनमोल रत्न मूलचंदजी पोरवाड़

विनम्रता और निरभिमानता व्यक्ति का सबसे बड़ा गुण होता है। विनम्रता से श्रेष्ठतम गुणों की प्राप्ति होती है और निरभिमानता उन्हें सदा सुरक्षित बनाए रखती है।

देश भक्ति की भावना और वीरता जिसके कण कण में समायी हुई है, ऐसी वीर भूमि मेवाड़ में मदारिया क्षेत्र में सांगावास – देवगढ़ के प्रतिष्ठित पोरवाड़ परिवार के धर्म निष्ठ सुश्राविका स्व. सुंदरबाई – श्रावक रत्न स्व. कजोड़ीमलजी पोरवाड़ के सुपुत्र मूलचंदजी पोरवाड़ जैन समाज की उन्नति हेतु समर्पित हैं। आपके दादाजी दादीजी स्व. हजारीमलजी स्व. गट्टूबाई पोरवाड़ अत्यंत धर्म परायण एवं देव गुरु धर्म के प्रति दृढ़ श्रद्धावान थे। हजारीमलजी पोरवाड़ परिवार के अग्रगण्य थे आपके छोटे दादाजी फूलचंदजी पोरवाड़ देवगढ़ के राजदरबार में दीवान थे।
आपका परिवार मेवाड़ क्षेत्र में हाजी – फूलजी परिवार के नाम से सुप्रसिद्ध है। मूलचंदजी पोरवाड़ का जन्म देवगढ़-मदारिया में हुआ। आपने सांगावास के पास बगड़ में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की और तत्पश्चात राणावास के सुप्रसिद्ध तेरापंथ जैन छात्रावास में दसवीं की पढ़ाई पूरी की।

आपके पिताश्री कजोड़ीमलजी पोरवाड़ ने बचपन में ही बहुत संघर्षों को पार किया। आप 10 वर्ष की उम्र में ही अपनी बड़ी बहन गेहरीबाई मुणोत के यहाँ सांगावास में चले गए। आपकी 60 वर्ष की उम्र तक आपका परिवार सांगावास में रहा। आप विशेष उन्नति के लक्ष्य से हासन, कर्नाटक में व्यापार करने पधारे और वहाँ गिरवी एवं कपड़े की व्यवसायी फर्म दलीचंद अगरचंद एंड कंपनी में भागीदार बने। आप एवं आपके पुत्रों ने इस भागीदारी को बहुत सुचारु रुप से निभाया और करीब 40 वर्षों तक यह पार्टनरशिप रही। आपके तीनों पुत्र आज भी उनका मै. दलीचंद अगरचंद एंड को. हासन वालों का उपकार मानते हैं और कहते हैं कि आपने डूबतों का हाथ पकड़कर तैरना सिखाया। आज भी आपकी चौथी पीढ़ी तक उनसे पारिवारिक आत्मीयतापूर्ण संबंध हैं।

मूलचंदजी पोरवाड़ ने मैसूरु यूनिवर्सिटी के अंतर्गत BSc की पढ़ाई पूर्ण की। मूलचंदजी पोरवाड़ ने 1975 में बेंगलूरु में व्यापार में कदम रखा। आपने सर्वप्रथम बी. वी.के. अय्यंगार रोड, अंचेपेट में भंवरलालजी भटेवरा के साथ भागीदारी में महाराणा प्रिंटर्स प्रारंभ की। 1976 में पत्रकार सम्पतकुमारजी मिश्र भी ‘तीर’ पत्रिका के माध्यम से आप से जुड़े। आप फार्मा सेल्स की बुक्स प्रिंट करते थे, तो आपकी रुचि फार्मा व्यवसाय में हो गई। आपने करीब तीन वर्ष के बाद ‘तीर’ एवं महाराणा प्रिंटर्स से भागीदारी से मुक्ति ले ली। आपने पहले सुविख्यात फार्मा कंपनी
संघवी चम्पालालजी कटारिया में बिना वेतन लिए कार्य किया। आपकी कार्यकुशलता, लगन एवं योग्यता को देखकर उन्होंने आपको भागीदार बनाकर 1978 में ‘Pharma Trade’ प्रारंभ की जो 1980 तक संचालित रही। फिर उन्होंने आपको स्वयं का प्रतिष्ठान ‘Medi Sales’ प्रारंभ करा दिया। उसके पश्चात 1982 में एक और फर्म ‘Medi Lines’ प्रारंभ की जिसमें
चम्पालालजी कटारिया अप्रत्यक्ष भागीदार थे। कुछ वर्षों पश्चात आपके भाई भी सांगावास से बेंगलूरु आ गए। आपने अपने छोटे भाई दिनेशजी पोरवाड़ को भी साथ में जोड़ लिया।
आप दोनों का व्यवहार इतना अच्छा था कि चम्पालालजी कटारिया ने यह फर्म दो वर्ष में पूरी आपको ही सौंप दी और यहाँ तक की दो वर्ष का लाभ भी उन्होंने बड़ी मुश्किल से लिया, जो भागीदारी में आपसी प्रेम का एक अनुपम आदर्श है। आपने 1990 में ‘Medi Trade’ एवं ‘Medi Sales Associates’ प्रारंभ की जिसमें आपके छोटे भाई समरथलालजी पोरवाड़ भी जुड़ गए।

आप तीनों भाईयों की एक दूसरे का कंधे से कंधा मिलाकर साथ देने वाली अनुपम त्रिमूर्ति जोड़ी ने अपनी बुद्धिमत्ता, दृढ़ संकल्प और व्यवहार कुशलता से व्यवसाय को प्रगति के शिखर पर पहुँचाया। सन् 2005 में आपने ‘Medi Wings Pvt. Ltd.’ प्रारंभ की। सन् 2005 में ‘Medi Sales’ ग्रुप की फर्म को कर्नाटक सरकार द्वारा तत्कालीन वित्त मंत्री एवं उपमुख्यमंत्री
सिद्धरामैया के हाथों Honest Tax Payer के गौरवशाली सम्मान से सम्मानित किया गया। आपके ‘Medi Sales’ Group के और भी अनेक प्रतिष्ठान हैं जो Pharma व्यापार में सफलता का ध्वज लहरा रहे हैं। आप AMAQ मोबाईल निर्माता हैं। सन् 2019 से आपकी मोबाईल फोन निर्माता कंपनी PEPAL Technologies Pvt. Ltd. में फीचर फोन का निर्माण हो रहा है।

आज ‘Medi Sales’ ग्रुप बेंगलूरु के साथ ही पूरे भारत के फार्मा व्यवसायियों में अग्रणी स्थान रखता है। मूलचंदजी पोरवाड़ का विवाह कीड़ीमाल, राज. निवासी स्व. हस्तीमलजी – रामूबाई की अत्यंत गुणवान सुपुत्री सुशीलाबाई के साथ संपन्न हुआ। सुशीलाबाई अत्यंत धर्म परायण श्राविका है। आपने दो वर्षीतप की सुदीर्घ आराधना की है। आपके पिछले 24 वर्षों से रात्रि भोजन के त्याग हैं और आपने 11 उपवास, अठाई, अनेक तेला एवं उपवास की आराधना कर तप तेजस्व से आत्मा को दीपायमान किया है। मूलचंदजी के बहन बहनोई पारसबाई – स्व. लोकेशचंदजी दक हुबली (कूकरखेड़ा), पिस्ताबाई – घेवरचंदजी दक गदग (बरार), स्व. शांताबाई – कैलाशचंदजी दक बेंगलूरु (ठीकरवास), हेमलताबाई – तेजराजजी गन्ना मुंबई (भीलवाड़ा) निवासी हैं। आपके सुपुत्र यशवंतजी का विवाह रोशनजी कोठारी, राजाजीनगर की सुपुत्री साधनाजी एवं द्वितीय सुपुत्र अरविंदजी का विवाह सम्पतराजजी मांडोत, शिवाजीनगर की सुपुत्री वनिताजी से हुआ है। आपके पुत्री जंवाई चंद्रा – पारसजी बंबकी और किरण – राकेशजी चावत हैं। यशवंतजी के पुत्र-पुत्रवधु सौरभ – प्रतिभा एवं पुत्र समय एवं संकल्प हैं। अरविंदजी के पुत्र आर्यन एवं पुत्री निधि हैं। आपके अनुज अनुजवधु समरथलालजी-मीनाबाई के पुत्र पुत्रवधु चेतनप्रकाश-सपना और पुत्री जंवाई मोनाजी-ललितजी गुरलिया, सोनियाजी-भरतजी मेहता, पूनमजी-आशीषजी गलुंडिया बेंगलूरु एवं पायलजी-नीरजजी मोटावत मुंबई निवासी हैं। दिनेशजी-प्रेमलताबाई के पुत्र पुत्रवधु परेशजी-ममताजी एवं पुत्री जंवाई सुनिताजी-विशालजी मांडोत बेंगलूरु, नूपुरजी-प्रवेशजी तातेड़ चेन्नई हैं।

सामाजिक योगदान में भी अग्रणी :
मार्गदर्शक, ट्रस्टी : मेवाड़ पैलेस, बसवेश्वरनगर
मार्गदर्शक, पूर्व उपाध्यक्ष, ट्रस्टी: मेवाड़ भवन, यशवंतपुर
भोजनशाला निर्माणकर्ता: मेवाड़ भवन, कामलीघाट, राज.
जैन मंदिर निर्माण : भीम, राज. में जय आनंद जन परमार्थ संस्थान,
अर्थ सहयोगी :-
विजयनगर जैन स्थानक,
अक्कीपेट जैन स्थानक,
मल्लेश्वरम जैन स्थानक,
गंगानगर जैन स्थानक,
पांडवपुरा जैन स्थानक,
ओसवाल भवन, देवगढ़, राज.,
श्री जैन पाठशाला, भीम, राज.
अखिल भारतीय ओसवाल परिषद के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं।
श्री साधुमार्गी जैन संघ, बेंगलूरु की कार्यकारिणी समिति में हैं।

जैन एकता के सुंदर उदाहरण हैं मूलचंदजी पोरवाड़ – ‘हाजी-फूलजी’ परिवार ज्योतिर्धर आचार्य श्री जवाहरलालजी म.सा. एवं समता सूरज आचार्य श्री नानेश के प्रति प्रगाढ़ श्रद्धा के साथ समर्पित रहा है। आचार्य श्री रामेश के प्रति श्रद्धावान पोरवाड़ परिवार के यशस्वी सितारे मूलचंदजी पोरवाड़ के पिछले 24 वर्षों से रात्रि भोजन के त्याग हैं। आप जैन एकता के सुंदर उदाहरण हैं। संप्रदायवाद की भावना से दूर हैं। पोरवाड़ परिवार जिनशासन में वीर परिवार है। आपके परभुआजी विदुषी महासतीजी श्री रोड़ाकंवरजी म.सा. की दीक्षा आपके देवगढ़ निवास से हुई और भीम में लगभग 15 वर्ष स्थिरवास रहे, भीम में ही देवलोकगमन हुआ। आपने क्रांतिकारी राष्ट्रसंत तरुणसागरजी म.सा. के बेंगलूरु चातुर्मास में तन-मन-धन और अमूल्य समय के योगदान पूर्वक पूरे चार महीने अग्रणी सेवाएँ दी। आपके अक्कीपेट स्थित सुबोध भवन में डॉ. अरुणविजयजी म.सा. D.Lit. ने चातुर्मास प्रवास किया एवं दक्षिण केसरी आचार्य श्री स्थूलभद्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न ने भी चातुर्मास प्रवास किया। आपके राजाजीनगर निवास सुंदरकुंज में भी अनेक साधु साध्वीवृंद का प्रवास हो चुका है और निरंतर आवागमन रहता है। आप स्थानकवासी, मंदिरमार्गी, तेरापंथी, दिगंबर सभी से प्रेम रखते हैं और सहयोग करते हैं।

जैन समय ‘अनमोल रत्न’ मूलचंदजी पोरवाड़ – जैन समय के ‘अनमोल रत्न’ मूलचंदजी पोरवाड़ की रग- रग में जैन धर्म की प्रभावना की प्रबलतम भावना है।
जैन समय के विश्व व्यापी धर्मप्रचार अभियान को गति देने हेतु आपने जैन समय के स्तंभ सहयोगी बनकर हमारे उत्साह को अनेक गुणा बढ़ाया है। हम पोरवाड़ परिवार के लिये सर्वसुखमय जीवन की यशस्वी मंगलकामनायें करते हुए शत शत आभार प्रदर्शित करते हैं।

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